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दुनिया में दुखियों ने जितने आँसू बहाये है, उनका पानी महासागर में जितना जल है उससे भी अधिक है।
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विश्व में आनन्द की आशा करना महान् मूर्खता ही नहीँ,अपितु पागलपन है।
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जीवन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमे मूलधन की भी पूर्ति नहीँ होती।
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अविद्या ही दुखों का मूल कारण है।
प्रत्येक विषय का कुछ-न-कुछ